Friday, 29 March 2013

Kuch Dohe - Ram Charit Manas


कामी हि नारि प्यारि जिमि, लोभि हि प्रिय जिमि दाम ।
तेहि भाँति निरंतर मोहि प्रिय लागहि रघुकुल मनि रघुनाथ ॥

-- जिस तरह से कामि पुरुष को नारि प्रिय लगति है, जिस तरह लोभि को धन प्रिय लगत है, उसि तरह रघुकुलमनि रघुनाथ प्रभु श्री

राम मुझे निरंतर प्यारे लगते रहे !

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सपनें होइ भिखारि न्रुपु रंकु नाकपति होइ ।
जागें लाभु न हानि कछु तिमि प्रपंच जियँ जोइ ॥

--- सपने मे भिखारि अगर राजा हो तो वोह सपने मे राजा होने का सुख भोगता है और उसि तरह से कोइ राजा सपने मे भिखारि हो

तो वोह सपने मे दरिद्र होने का दुख भोगता है पर सपने से राजा जागने के बाद राजा हि रहेता है और भिखारि दरिद्र हि रहेता है उसि

तरह जिवन कि वास्तविक्ता को पहेचानिये और उसका स्वीकार करे क्युकिं किये हुऐ किसि भि मनोरथ का जिवन कि वास्तविक्ता पर

कोइ असर नहि पडता.

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